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Wednesday, March 24, 2010

भूमिका




ग्रामीण क्षेत्र में बैंकों का तेजी से विस्तार होने के बावजूद ग्रामीण जनता का बहुत बड़ा भाग विशेषतया भूमिहिन , सीमान्त कृषक , ग्रामीण शिल्पकार आदि बैंक की वित्तीय सुविधा से इस लीये वंचित रह जाते है ; की उनकी आर्थिक स्थिति सिक्योरिटी व गारंटी देने की नहीं होती है । उन्हें ऋण के लीये गैर संस्थागत स्रोतों जैसे साहूकार (Private Money Lender) आदि पर निर्भर रहना पड़ता है , जो विभिन्न प्रकार से उनका शोषण करते है । ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण प्राप्ति का यह परम्परागत व व्यापक स्रोत रहा है । 50 के दशक से ही ग्रामीण निर्धन वर्ग की साहूकारों पर निर्भरता कम करने की तथा औचित्यपुर्न शर्तों पर ऋण उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संस्थागत ग्रामीण ऋण प्रणाली (Institutional Rural Credit System ) को मजबूत व् प्रभावी बनाने के लिए समय- समय पर कितने ही कदम उठाए गए व बैंकिंग प्रणाली में परिवर्तन लाए गए है ।

इसके साथ ही 80 के दशक में कुछा गैर सरकारी संस्थाओं (NGOs) ने भी गरीबों को नियमित आधार पर बचत करने तथा उससे आत्म निर्भरता विकसित करने के लीये प्रेरित करने के उद्देश्य से अनौपचारिक संस्थागत ढाचे (Informal Organisational Structure) खडा करने की पहल की तथा यह अनुभव किया कि यदि गरीब लोगों को सेल्फ हेल्फ ग्रुप (स्व सहायता समूह ) के रूप में व्यवस्थित कर दीया जाय , तो उनके विकास में मदद करने तथा उनमें पारस्पारिक विश्वास व् मजबूती विकसित करने में सफलता प्राप्ति की काफी संभावनाए दिखाती है ।

परन्तु इन सभी प्रयासों के बावजूद आम जनता की गरीबी दूर नहीं हुई और नाही उन्हें किसी योजना का पूरा लाभा मिल पाया इसका प्रमुख कारन है केंद्रीकृत योजनाये । केंद्रीकृत राजनैतिक और आर्थिक सत्ता से गरीबों का गरीबी चक्र शुरू होता है ; चाहे वह पूंजीवाद हो अथवा समाजवाद । केंद्रीकृत नियोजन प्रणाली एवं तत्संबंधी निर्णय प्रक्रिया एक साधारण नागरिक से इतनी दूर होती है कि उसकी आवश्यकता अथवा आकांक्षाओं का उसमें समावेश होना संभव नहीं है आम नागरिक योजनाओं का कभी भी पूरा लाभा नहीं ले पाता है । इन सभी समस्या का आसान सा समाधान है " पंचायती राज " । इस नियम के उपयोग से बड़े बड़े कार्य आसानी से हल होंगे आज कई राज्यों में यह लागु भी है । पंचायत से विकेन्द्रीय प्रणाली को आधार बनाकर गरीब जनता के आर्थिक विकास कि "ग्राम कोष " योजना को पंचायत स्तर पर चलाया जा सकता है जिसके लीये ग्राम पंचायत कि ग्राम सभा प्रस्ताव पारित कर गठन किया जान चाहिए ।