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उद्देश

  1. संचित पूंजी से अपने सदस्यों के लिए अपना एसा बॅंक चलाना , जो महाजनो व व्यावसायिक बॅंक के बीच का बॅंक हो तथा दोनो की बुराइयों से रहित व अछाईयों से युक्त हो . 
  2. संचित सामूहिक पूंजी से सदस्यों की दैनिक आवश्यकता पूरी करना , जिसके लाइ सामान्यत: ग़रीब व्यक्ति को बाहर से कर्ज़ लेना पड़ता है .
  3. कोष की संगठित शक्ति को स्वावलंबन के साथ - साथ गाँव के सामुदायिक कार्यों में नियोजित कर "स्वावलंबी ग्राम्य" विकास (ग्रामतीर्थ) की ओर बढ़ना. 
  4. सदस्यों के अंदर बचत की आदत का विकास करना ओर आर्थिक रूप में सक्षम बनाने के लिए आय संवर्धन कार्यक्रम चलाने के लिए तैयार करना .